अभी कुछ महीनों पहले अमेरिका मे डाक्टरों के बीच हुए सर्वे के मुताबिक महिला और पुरुषों का काम -ओहदा भले ही एक जैसा हो लेकिन आमदनी में पुरुष ही आगे रहते हैं। इस स्टडी के प्रमुख हेल्थ इकोनोमिस्ट क्रिस्टोफर व्हेले का कहना है कि यह सर्वे डाक्टरों के वेतन पर किया गया सबसे बड़ा विश्लेषण है। इस सर्वे ने सच में मुझे हैरान परेशान कर दिया क्योंकि सबसे आधुनिक देशों में से एक अमेरिका में स्त्री -पुरुष का यह भेदभाव और वह भी मेडिकल प्रोफशन में? आखिर क्यों इतने शिक्षित समाजों में भी महिलाओं को पुरुषों से कमतर आंका जाता है ?
दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों में महिलाओं को भेदभाव का सामना करना ही पड़ता है फिर चाहे वो राजनीति हो, फिल्में हो, या खेल जगत हो। खेलों में अवश्य अब थोड़ा फर्क आया है। बीबीसी की स्टडी के अनुसार 48 मे से 37 खेलो में अब महिला खिलाडियों को पुरुष खिलाडियों जितनी प्राइज-मनी मिलने लगी है।
अब बात करते हैं पिंक टैक्स की। क्या आप जानते हैं कि यह ' पिंक टैक्स' क्या है ?यह एक 'इनविजिबल टैक्स' या कहूं कि जेंडर पर आधारित कीमतों में भेदभाव (प्राइज डिस्क्रिमिनेशन) है। यानि एक ही प्रोडक्ट के लिए महिलाओं को पुरुषों से अधिक पैसे देने पड़ते हैं। उदाहरण के लिए किसी एक ही कंपनी की शेविंग रेज़र के लिए पुरुष अगर 20 रूपए देता है तो महिलाओं के लिए वह 55 रूपए का होगा। यह फर्क पिंक टैक्स की वजह से ही है। इसे विशेष रूप से महिलाओं के लिए डिज़ाइन किए गए प्रोडक्ट को देखते हुए कंपनियां अपनी मर्जी से वसूलती है। मेरे प्यारे दोस्तों, वर्क प्लेस हो या कोई अन्य क्षेत्र महिलाओं के साथ भेदभाव कोई नई बात नहीं है। यह सदियों से चला आ रहा है,लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक ?
आज के इस आधुनिक युग में तुलनात्मक रूप से अवश्य ही बहुत परिवर्तन आया है। लेकिन फिर भी अभी दिल्ली दूर है। आस्ट्रेलिया की नारीवादी लेखिका और विचारक जी .डी. एंडरसन का कहना है कि-- " नारीवाद महिलाओं को सशक्त करने की विचारधारा नहीं है। महिलाएं तो है ही सशक्त। यह तो दुनिया का नज़रिया बदलने की पहल है। "
सजग, सचेत,सबल, समर्थ, आधुनिक युग की नारी हो तुम।
मत मानो अब अबला खुद को। सक्षम हो,बलधारी हो तुम।
समाज में महिलाओं की भूमिका हमेशा से ही महत्वपूर्ण रही है, परन्तु इसका श्रेय उन्हें नहीं मिलता। पुरुष प्रधान समाज अपनी सुविधानुसार सोच बना लेता है और फिर यही सोच स्थिति बदलने नहीं देती। इसमें बदलाव जरूरी है, खुद स्त्री के मन के स्तर पर, घर -परिवार में और समाज की सोच में। तभी महिलाओं के लिए हालात बराबरी और सुकून भरे होंगे। है ना ?
इसी बराबरी और सुकून की उम्मीद लिए हुए बहुत सी शुभकामनाएं !!!❤️